Priyanka06

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -27-Dec-2022 बालवीरो का बलिदान

शीर्षक-बाल वीरो का बलिदान

21 से 27 दिसंबर बना यादगार,
चार साहिबजादो ने दिया बलिदान,
याद करती जनता पूरा सप्ताह,
देता श्रद्धांजलि पूरा जहान।

गुरु गोविंद सिंह के थे लाल,
बड़े बहादुर थे यह बाल,
दी देश के लिए जान,
लिख गए बालइतिहास ।

चार वीर पुत्रों का बताते नाम,
अजीत सिंह जोहार सिंह,
बाबा जोरावर सिंह, फतेह सिंह,
26 दिसंबर को किया जाता है याद।

था उनके परिवार में आत्मविश्वास,
गंगू नौकर था दगाबाज,
चंद मोहरों के कारण बेच दिया जमीर,
वजीर के सामने झुकाया अपना शीश।

माता और दोनों बच्चों को किया गिरफ्तार,
नाम था उनका फतेह और जोरावर,
ठंड बुर्ज बना उनका स्थान,
जबरन करवा रहे थे कबूल इस्लाम।

एक ही नारा हुआ गुंजायमान ,
जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल,
पूरी सभा में हुआ आश्चर्य,
वजीर खां के सामने दिखाई हिमाकत।

डटे रहे अपने पथ पर,
गुरु के सामने झुकाते सर,
दुश्मनों के सामने रहते तन कर,
अपने धर्म पर रहे अटल।

निर्भीक होकर निभाएंगे अपना धर्म,
सुनाया फरमान कर दो इनका कत्ल,
दोनों बच्चों को जिंदा ही दीवारों में चुनवाए,
फिर भी ना हिले उनकी हिम्मत।

जपुजी साहिब करने लगे पाठ,
जय जयकारों से गूंज रही थी दीवार,
तोड़ दीवार को लिए उनके प्राण,
माता गुजरी को हुआ उन पर अभिमान।

माता गुजरी ने भी किये प्राण त्याग,
गुरु गोविंद सिंह ने सुनी जब बात,
लिखे औरंगजेब को जफरनामाना,
खालसा पंथ की होगी स्थापना।

अजीत सिंह  लेकर शस्त्र,
चल पड़े रणभूमि के पथ,
पूरी निष्ठा से निभाए अपना फर्ज,
लड़ते लड़ते हो गए शहिद।

17 साल की उम्र में हुए वीरगति को प्राप्त,
चार साहिबजादो लिख गए इतिहास,
गगन धरा को भी रुलाया,
सारे जहां को इंस्पायर कराया।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा

   19
3 Comments

सुन्दर सृजन

Reply

Haaya meer

30-Dec-2022 06:38 PM

Very nice

Reply

Sachin dev

30-Dec-2022 04:01 PM

Nice 👌

Reply